चंद्र केतु ग्रहण दोष तब होता है जब चंद्रमा और केतु जन्म कुंडली के एक ही घर में स्थित होते हैं। चंद्रमा मन और भावनाओं का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि केतु वैराग्य, एकांत, क्रोध और शून्यता का प्रतीक है। इस संयोजन का एक शक्तिशाली नकारात्मक प्रभाव है जो जातक के जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। नतीजतन, चंद्र केतु ग्रहण दोष वाले लोग भावनात्मक रूप से अस्थिर, उदास और परेशान रहते है।
चंद्र-केतु ग्रहण दोष के प्रभाव चंद्र और केतु के कुंडली में स्थान और संयोजन की डिग्री के आधार पर भिन्न होते हैं। लेकिन यह बात अवश्य निश्चित है कि इसके परिणाम जीवन को अप्रत्याशित आतंक की ओर ले जाते हैं। चंद्र केतु ग्रहण दोष निवारण पूजा इस दोष के प्रभाव को दूर करने के लिए सबसे शक्तिशाली वैदिक उपाय है।
जब किसी जन्म कुंडली का चंद्रमा राहु या केतु के साथ हो या चंद्रमा नीच राशि का हो या नीच ग्रहों, अशुभ या पाप ग्रहों से घिरा हो, तो इसे चंद्र ग्रहण दोष के रूप में भी जाना जाता है। इस दोष को दूर करने के लिए शालिग्राम शीला पूजा और यज्ञ सेवाएं चंद्र ग्रहण दोष निवारण पूजा करने की सलाह देती हैं। इसके अथवा यदि किसी व्यक्ति का जन्म ग्रहण के दिन होता है, तब भी ग्रहण दोष का प्रभाव देखा जाता है।
पूर्ण ग्रहण दोष तब होता है जब चंद्रमा और केतु ग्रह एक ही घर में स्थित होते हैं।
आंशिक चंद्र ग्रहण दोष तब होता है जब चंद्रमा और राहु एक ही घर में मौजूद होते हैं।
चंद्र ग्रहण दोष वाले लोग आत्मविश्वास की कमी, भावनात्मक अस्थिरता, रिश्ते की समस्याओं और चिंताओं का अनुभव करते हैं। ग्रह दोष निवारण पूजा तनाव, चुनौतियों और आपदाओं पर काबू पाने में एक व्यक्ति की सहायता करती है। यह पूजा आत्मविश्वास, शक्ति और संतोष की प्राप्ति में सहायता करती है। इस पूजा अनुष्ठान के बाद व्यक्ति के सामने एक स्पष्ट खुला मार्ग होता है और वह करियर व व्यक्तिगत जीवन में सफलता प्राप्त करता है।
यह पूजा आपके बंद पड़े महत्वपूर्ण कार्यों को पुनः मार्ग पर लाने का कार्य करती है। इस पूजा के प्रभाव से सभी अवरुद्ध कार्य पूर्ण होते हैं। इसके माध्यम से हम सभी प्रकार की शारीरिक और मानसिक चिंताओं को दूर कर सकते हैं। यह पूजा कुंडली में मौजूद चंद्र ग्रहण दोष को कम करती है। चंद्र ग्रह दोष से छुटकारा पाने के लिए चंद्र देव और भगवान शिव की पूजा करें।
चंद्र केतु ग्रहण दोष पूजा कैसे काम करती है?
कलश पूजा सहित अन्य पांच आवश्यक देवताओं जैसे गणेश, शिव, मातृका, नवग्रह, और प्रधान-देवता यानी केतु और चंद्र, की पूजा शामिल है।
पूजा में चंद्र बीज मंत्र का 11000 बार और केतु बीच मंत्र का 17000 बार जाप व पाठ करना शामिल है। फिर, एक होम अर्थात हवन अनुष्ठान किया जाता है जिसमें घी, तिल, जौ और भगवान चंद्रमा और केतु से जुड़ी अन्य पवित्र वस्तुएं 1100 चंद्र मंत्र और 1700 केतु मंत्रों का पाठ करते हुए अग्नि को अर्पित की जाती हैं।
आपके चार्ट में ग्रह दोष के नकारात्मक प्रभावों को दूर करने के लिए यज्ञ या हवन एक आवश्यक उपाय हो सकता है।
चंद्र केतु ग्रहण दोष पूजा सबसे नजदीकी चंद्र या केतु नक्षत्र के दौरान की जाती है जोकि एक सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त होता है।
पूजा My Pandit द्वारा नियुक्त 5 पुजारियों और गुरु पंडित की देखरेख में चंद्र केतु ग्रहण दोष के अपार ज्ञान के साथ की जाती है।
शिपिंग डीटेल
पूजा के बाद यंत्र, यज्ञ भस्म और पेंडेंट को कूरियर सेवा के माध्यम से आपके द्वारा उपलब्ध पते पर पहुंचा दिया जाता है। इन वस्तुओं की डिलीवरी भारत में 5 से 10 कार्य दिवस और अंतर्राष्ट्रीय शिपिंग 10 से 15 कार्य दिवस में प्राप्त हो जाती हैं।